ब्लैडर कैंसर के लक्षण, जोखिम, कारक और ब्लैडर कैंसर का पता किस प्रकार लगाया जा सकता है
मूत्राशय कैंसर जिसे अंग्रेजी में ब्लैडर कैंसर भी कहते है, का जन्म तब होता है जब मूत्राशय में मौजूद कोशिकाओं का विकास असामान्य रूप से हो रहा हो|
Urologist in Ludhiana का कहना है की,” जब आपके मूत्राशय में कैंसर अपने कदम पसार रहा होता है तो आपके पेट के निचले हिस्से में पहले कभी न हुई हो, ऐसी दर्द होती है| आपको इस दर्द को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए, क्योंकि यदि आप ऐसा करेंगे तो आप इस समस्या को जटिल करने में खुद ही सहयोग दे रहे होंगे|”
आइये आंकड़ों पर नज़र डालते है:
भारत में जितने भी कैंसर के मामले सामने आते है, उनमें से २ प्रतिशत मामले मूत्राशय कैंसर के होते है|
किन कारणों की वजह से आपको ब्लैडर कैंसर का सामना करना पड़ सकता है?
जैसे ही ब्लैडर में मौजूद कोशिकाओं के DNA में परिवर्तन होता है, वैसे ही कैंसर की शुरुवात धीरे धीरे होने लगती है| Cells के DNA में निर्देश होते है, जो की यह बताने में सहायी होते है की उन्हें अब क्या करना है| जब भी ब्लैडर में कैंसर हो तो यह निर्देश, परिवर्तन कोशिकाओं को गुना करने और स्वस्थ कोशिकाओं को मृत होक भी जीवित रहने के लिए कह रहे होते हैं| जब ऐसी ही असामन्य कोशिकाओं की मौजूदगी बढ़ जाती है, तो यह निरंतर tumour का रूप धारण करने लगती है|
क्या मूत्राशय कैंसर के कुछ जोखिम कारक भी है?
- धूम्रपान करना
- अधिक उम्र होना (50 साल से अधिक)
- तंबाकू का सेवन करना
- जेनेटिक कारण (अनुवांशिक कारण) होना
- केमिकल के संपर्क में आना
किन लक्षणों से पता लगता है की आपको मूत्राशय का कैंसर है?
- पेंडू में असहनीय दर्द होना।
- पेशाब करने के पहले, दौरान या बाद में दर्द का अनुभव करना।
- पेशाब में रक्त (हल्की या भारी मात्रा में) आना।
- बार –बार पेशाब आना ।
- पीठ में बहुत ज़्यादा दर्द होना।
चिकिस्तक से तुरंत संपर्क करिये!
यदि आप उपरोक्त लिखे किसे भी कारण का सामना करते है तो आपको उसी समय किसी अच्छे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए|
ब्लैडर कैंसर का परिक्षण (डायग्नोसिस) किस प्रकार होता है?
पिछली बीमारी का इतिहास और पारिवारिक बीमारी जैसी कुछ चीज़ों के बारे में पेशेंट को पूछने के बाद, डॉक्टर शारीरिक परिक्षण करते है| शारीरिक परिक्षण डायग्नोसिस प्रक्रिया का एक भाग है (यह डायग्नोसिस का आधार नहीं है)| शारीरिक परिक्षण के बाद डॉक्टर निम्नलिखित डायग्नोसिस टेस्ट्स की भी सहायता लेते हैं:
यूरिन टेस्ट | इस टेस्ट से निम्नलिखित कारकों का पता लगाया जा सकता है:
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सिस्टोस्कॉपी | मूत्राशय के अंदर की जानकारी लेने के लिए यह टेस्ट किया जाता है| |
इमेजिंग स्कैन | मूत्राशय की तस्वीरों से उसमे असमानताऐं जानने का यतन किया जाता है| CT Scan और MRI Scan ऐसे ही कुछ टेस्टों के नाम है| |
बायोप्सी | इस प्रक्रिया के द्वारा ABNORMAL TISSUES का एक नमूना (सैंपल) लिया जाता है, जिससे यह पता लगाया जाता है की मूत्राशय कैंसर से ग्रस्त है या नहीं| |